रोनाल्डो और जीतने की जिद। Ronaldo success story
कहते है किसी भी ओवरनाइट सक्सेस के पीछे सालों की मेहनत होती है। एक पागलपन होता है उस सपने के लिए और बचपन से ऐसा ही कुछ पागल पन था एक मालि के बेटे में फुटबॉल को लेकर और इसी पागलपन में इस बंदे को क्रिस्टियानो रोनाल्डो बना दिया तो आज हर फुटबॉल लवर के दिल की धड़कन है। जी हा, दोस्तों मैं बात कर रहा हूँ फुटबॉल की पहचान दी क्रिस्टियानो रोनाल्डो की। आज ये सब जानते है की ये बंदा अरबों के बंगले में रहता है, करोड़ों की गाड़ियों में घूमता है।
पर इस कामयाबी के पीछे का स्ट्रगल और नंबर वॅन रहने के लिए जो मेहनत है उसे कुछ ही लोग रूबरू हैं और आज इस पोस्ट में इस बंदे के कुछ किस्से सुनने के बाद आप भी बोलोगे की कामयाबी ऐसे बंदो से दूर रह नहीं सकती। रोनाल्डो के कोच बताते हैं, 1 दिन उन्होंने रात को ऑफिस की खिड़की से कुछ पेड़ो को हिलते देखा। उन्हें लगा कोई मीडिया वाले जासूसी कर रहे हैं पर पूछ ताछ करने के बाद पता चला की रोनाल्डो पेड़ों के बीच अकेले प्रैक्टिस कर रहे थे।
ताकि अपने स्किल्स को और इम्प्रूव कर सके। जब ट्रेनिंग के बाद बाकी टीम में लोग आराम करने चले जाते थे तब भी ये बंदा अकेले प्रैक्टिस करता था और जाम 6:00 बजे ऑफिस छूटना होता है। वहाँ 5:00 बजे ही तैयार होकर बैठ जाते हैं क्योंकि हम जो कर रहे हैं उसमें हमारा पैशन ही नहीं है। हम तो बस चले जा रहे हैं। भीड़ के साथ चल रहे हैं अकॉर्डिंग टु रिसर्च 19 6% लोग अपने पैशन को फॉलो नहीं करते और ये 19 6% लोग उन 4% लोगों के लिए काम करते हैं जो 100 बार हारने के बावजूद भी अपने पैशन पर गीव अप नहीं करते। लूजर्स हमेशा बहाने बनाते हैं, घर वाले सपोर्ट नहीं करते, पैसा नहीं है, स्किल्स नहीं है वगैरह वगैरह।
पर विनर ऐसी हालातों में भी रास्ते खोज लेते हैं। रोनाल्डो के लाइफ में भी कई मुश्किलें आई पर ये मुश्किलें इस बंदे का बाल भी बांका ना कर सकी।
12 साल की उम्र में इस बंदे को फुटबॉल के लिए अपने फैम्ली से दूर रहना पड़ा। 15 साल की उम्र में हार्ट प्रॉब्लम की वजह से डॉक्टर ने फुटबॉल खेलने से मना कर दिया। पर अब तक तो ये गेम इस बंदे की जान बन चुका था और अब इनके पास दो रास्ते थे। एक तो फुटबॉल खेलना छोड़ दो या दूसरा एक रिस्की सर्जरी कर लो और बेशक इस बंदे ने दूसरा रास्ता चुना अभी यह बंदा इस मुश्किल से उभर भी नहीं था तभी दूसरा पहाड़ टूट पड़ा। ज्यादा शराब पीने की वजह से इनके पिता की डेथ हो गई।
रोनाल्डो को बहुत बड़ा सदमा पहुँच गया। पिता के बाद घर का खर्चा चलाने के लिए इनकी माँ को दुसरो के घर में काम तक करना पड़ा। इतनी मुसीबतों की बावजूद इस बंदे ने अपने पैशन के लिए मेहनत करना नहीं छोड़ा। ये होता है पागलपन अपने पैशन के लिए, अपने सपनों के लिए और ऐसे ही पागल लोग आगे चल कर दुनिया के लिए मिसाल बन जाते है। रोनाल्डो के फिटनेस कोच मौर्य बताते है। चैंपियंस लीग का मैच खेलने के बाद जब रोनाल्डो रात को 2:00 बजे शहर लौटे तब उनके सारी साथी घर चले गए। वहा ये बंदा सीधा ट्रेनिंग सेंटर जा कर वर्कआउट करता है। मैच जीतने के बाद और दुनिया का सबसे महान खिलाड़ी बनने के बाद भी ये बंदा रुकने का नाम नहीं लेता और ऐसा ही कुछ होता है विनरस का अटिट्यूड जो दूसरों से नहीं, खुद के कल से कांप्टीशन करते है खुद को और बेहतर बनाने के लिए। और ऐसा नहीं है की रोनाल्डो से ज्यादा टैलेंटेड प्लेयर्स नहीं है, पर इस बंदे की जितना हार्ड वर्क कोई नहीं कर पाता
और इसी हार्ड वर्क की बदौलत कामयाबी इनके कदम चूमती है। दोस्तों नंबर 1 बनना जितना मुश्किल है उससे कई मुश्किल है नंबर 1 बने रहना और रोनाल्डो हर रोज़ वो सब कुछ करते हैं जो उन्हें नंबर 1 बनाए रखें। रोनाल्डो के एक दोस्त उनके बारे में बताते हुए कहते हैं, ट्रेनिंग सेशन के लिए रोनाल्डो सबसे पहले फील्ड में आते हैं और दिनभर के हार्ड प्रैक्टिस के बाद सबसे लास्ट घर जाते हैं
उनके दोस्त ऐसा एक किस्सा बताते है कि दिनभर प्रैक्टिस के बाद रोनाल्डो के दोस्त उनके साथ घर चले गए उनके साथ डिनर किया उन्हें लगा कि रोनाल्डो आराम करेंगे लेकिन फुटबॉल लेकर यह बंदा वापस प्रेक्टिस करने चला गया
रोनाल्डो हमेशा कुछ बड़ा करने की कोशिश करते और इसी इच्छा के चलते उन्होंने फुटबॉल जगत में अपना नाम बना दिया
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