महासागर का विचित्र रहस्य।Denmark sea water mystery
हम ऐसे दो समुद्र की बात कर रहे हैं जो मिलकर भी कभी नहीं मिलते। कोई कहता हैं की इसका जिक्र शिव पुराण में हैं तो कोई कहता हैं की इसका जिक्र कुरान में हैं
लेकिन कोई भी इन दोनों का रहस्य नहीं जानता। दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में शुमार है अलास्का की खाड़ी इस खाड़ी में ऐसी जगह है जहां दो समुद्र का पानी जब टकराता है।
तो दुनिया के होश उड़ जाते हैं। जहां एक तरफ गहरा नीला पानी है तो दूसरी तरफ मटमैला नीला पानी कहते हैं। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए लोग दुनिया भर से जमा होते हैं। इस नजारे को देखकर हर कोई सोच में पड़ जाता है कि दोनों समुद्र का पानी आखिर आपस में क्यों नहीं मिलता?
आखिर इसका रहस्य क्या है? क्योंकि इस नजारे को देखकर तो यही लगता है कि पानी के बीचोबीच कोई लक्ष्मण रेखा खिची है, जिसे दोनों समुद्र में से लांघने की कोई कोशिश तक नहीं करता। दुनिया भर में कुछ लोग इसे चमत्कार मानते हैं तो कुछ इसे धार्मिक मान्यता से भी जोड़तें हैं। मुस्लिम मान्यता की माँ ने तो यह अल्लाह का चमत्कार है।
इसका ज़िक्र पवित्र कुरान में है। वही हिंदू मान्यता के मुताबिक इसका जिक्र शिव महापुराण में किया गया है। यानी प्रकृति के इस अद्भुत नजारे को धर्म से भी जोड़ा गया है। धरती के करीब 30% हिस्से पर जमीन और 70% हिस्से पर पानी है। लेकिन कुदरत का करिश्मा तो देखिए की धरती पर दो महासागर आपस में मिलते तो जरूर है, लेकिन।
दोनों का पानी अलग अलग साफ़ नज़र आता हैं। दरअसल अलास्का की खाड़ी में हिंद महासागर और प्रशांत महासागर आकर मिलते हैं। इन दोनों समुद्र की सबसे निराली बात तो ये हैं की ये दोनों कभी एक दूसरे की सीमा में प्रवेश नहीं करते जिसका अंदाजा आप उनके पानी के अलग अलग रंग से लगा सकते हैं।
अगर आप इस नजारे को करीब से देखना चाहते हैं तो इसके लिए शिप की मदद लेनी होगी। कहते हैं कि दूर आसमान से देखने पर तो ये नजारा बेहद शानदार लगता है। दरअसल ये एक ग्लेशियर से आने वाला मटमैला, हल्का नीला पानी है तो दूसरा गहरा नीला पानी। इन दोनों के मिलन की दीवार भी साफ नजर आती है।
असल में दोनों समुद्र का पानी एक दूसरे से अलग होने की खास वजह है। वैज्ञानिक का कहना है कि ये पानी के घनत्व और उसके तापमान समेत कई बड़े कारणों से जुड़ा है। तमाम रिसर्च के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस जगह पर खारे और मीठे पानी का अलग अलग घनत्व और उनमें मौजूद लवण और तापमान के अलग अलग होने की वजह से दोनों समुद्र का पानी आपस में पूरी तरह से मिल नहीं पाता।
प्रशांत महासागर का पानी ग्लेशियर से आने के कारण हल्का नीला और नमकीन होता है, जबकि हिंद महासागर का पानी काफी खारा हैं। इन दोनों महासागरों का पानी ऊपरी सतह पर अलग अलग घनत्व होने की वजह से मिल नहीं पाता।
और यह पानी जब आपस में टकराता है तो कुछ झाग पैदा होता है यह जाग पानी की ऊपरी सतह पर एक सीमा रेखा की तरह नजर आता है सूरज की रोशनी में खारे और मीठे पानी का कारण दोनों पानी का रंग एक दूसरे से बिल्कुल जुदा होता है कहा जाता है की हल्की घनत्व वाला पानी ऊपर तैरता है और खारा पानी नीचे चला जाता है यानी मट मैला पानी नीले पानी पर तैरता रहता है लेकिन इसका अंदाजा हर कोई नहीं लग पाता खैर जो भी हो यह नजारा वाकई चौंकाने वाला है आज के लिए बस इतना ही फिर मिलेंगे नए रहस्य के साथ
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