कोहिनूर हीरे का रहस्य Kohinoor diamond mystery
आज हम बात करेंगे दुनिया की एक कीमती और सबसे मशहूर हीरे के बारे में
हम बात कर रहे हैं दुनिया के बेश कीमती हीरे कोहिनूर हीरे के बारे में
कोहिनूर हीरे का इतिहास
कोहिनूर हीरे का इतिहास 5000 साल से भी पुराना है
इस हीरे का वर्तमान नाम फारसी में है।
जिसका नाम है रोशनी का पहाड़ (mountain light)
इतिहासकारों के अनुसार, इस हीरे की खोज आंध्रप्रदेश गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा की खदानों में खुदाई के दौरान हुई थी। सबसे पहले इसे किसने देखा, यह कब बहार आया था, इसका कोई प्रमाण दर्ज नहीं है।
आपको बता दें कि अपने लंबे इतिहास में यह बेशकीमती हीरा पूरी दुनिया में घूम चुका है और कई शासकों के पास भी रहा है। यह भारत के भीतर और भारत के बाहर, फारस, अफगानिस्तान के मध्य यात्रा करने के लिए भी जाना जाता है।
कोहिनूर हीरा रखने वाले कुछ प्रसिद्ध राजाओं के नाम
1- काकतीय ( Kakatiyas)
2- अलाउद्दीन खिलजी (Allaudin Khilji)
3- ग्वालियर के राजा विक्रमादित्य (Raja Vikramaditya)
4- प्रारंभिक मुगल, बाबर और हुमायूं (Babur and Humayun)
5- ईरान के शाह, शाह तहमास्प (Shah Tahmasp)
6- अहमदनगर और गोलकुंडा के राजवंश, निजाम शाह और कुतुब शाह (Nizam Shah and Qutub Shah)
7- बाद में मुगल शाहजहां से मुहम्मद शाह रंगीला तक (Muhammad Shah Rangila)
8- फारस के नादिर शाह, जिन्होंने फारसी नाम कोहिनूर दिया, जिसका अर्थ है "रोशनी का पहाड़" (Nadir Shah)
9- अफगान जनरल अहमद शाह अब्दाली (दुर्रानी) और उसके बाद से उसके उत्तराधिकारियों से लेकर शाह शुजा तक (Ahmad Shah Abdali (Durrani))
10- शेर-ए-पंजाब, महाराजा रणजीत सिंह और उसके बाद उनके उत्तराधिकारियों से लेकर महाराजा दिलीप सिंह तक (Maharaja Duleep Singh
अंग्रेजों के स्वामित्व में आने से पहले हीरे ने कई बार शासक और स्थान बदला था।
हीरे की उत्पत्ति आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा में की गई है। यह रायलसीमा हीरे की खदान से खनन किया गया था, तब यह काकतीय राजवंश के शासन के अधीन था।
दिल्ली सल्तनत वंश के दूसरे शासक अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में, खिलजियों ने दक्षिणी भारत में कई सफल आक्रमण किए और छापे मारे। ऐसा माना जाता है कि खिलजी 1310 में वारंगल में ऐसे ही एक अभियान में हीरा हासिल करने आए थे।
इसके बाद हीरा दिल्ली सल्तनत के एक शासक से दूसरे शासक में बदलता रहा। 1526 में बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया, और हीरा हासिल किया। बाबर ने अपनी आत्मकथा 'बाबरनामा में हीरे का उल्लेख भी किया है। कुछ रिकॉर्डस के अनुसार, बाबर के बाद, हीरे ने शाह जहां के मयूर सिंहासन को सुशोभित किया था।
फारसी सम्राट, नादिर शाह ने 1739 में मुगल साम्राज्य पर आक्रमण कर हीरा प्राप्त कर लिया था। ऐसा कहा जाता है कि यह नादिर शाह थे, जिन्होंने हीरे को अपना वर्तमान नाम 'कोह-ए-नूर' दिया था, जिसका फारसी में अर्थ है "रोशनी का पहाड़
1747 में नादिर शाह की हत्या कर दी गई और उनका साम्राज्य बिखर गया। उनकी मृत्यु के बाद, कोहिनूर उनके एक सेनापति, अहमद शाह दुर्रानी के अधिग्रहण में आ गया था। उनके वंशजों में से एक, शहसूजा दुर्रानी ने पंजाब के रणजीत सिंह को हीरा दिया, जिसने बदले में दुर्रानी को अफगानिस्तान के सिंहासन को वापस जीतने में मदद की।
कोहिनूर हीरे की ख्याति सीमाओं से परे थी। यह पुराने के साथ-साथ आधुनिक साहित्य का भी हिस्सा रहा है। कोहिनूर वास्तव में कालातीत और अमूल्य है। भारतीय इतिहास कोहिनूर के बिना अधूरा है।
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