हवा महल की जानकारी और इतिहास – Hawa Mahal Jaipur Information And History
Hawa Mahal Jaipur
जयपुर के गुलाबी शहर में बाडी चौपड़ पर स्थित हवा महल राजपूतों की शाही विरासत, वास्तकुला और संस्कृति के अद्भुत मिश्रण का प्रतीक है। हवा महल को राज्स्थान की सबसे प्राचीन इमारतों में से एक माना जाता है। बड़ी ही खूबसूरती के साथ बनाया गया हवा महल जयपुर के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। कई झरोखे और खिडकियां होने के कारण हवा महल को “पैलेस ऑफ विंड्स” भी कहा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट जैसी इस पांच मंजिला इमारत में 953 झरोखें हैं, जो मधुमक्खियों के छत्ते से मिलते जुलते हैं, जो राजपूतों की समृद्ध विरासत का अहसास कराते हैं। लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरों से बना हवा महल सिटी पैलेस के किनारे बना हुआ है। हवा महल की खास बात यह है कि यह दुनिया में किसी भी नींव के बिना बनी सबसे ऊंची इमारत है। वर्तमान समय में हवा महल देश-विदेश से आए पयर्टकों के लिए एक शानदार स्थलों में से एक है। बता दें कि महल अब कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों की शूटिंग के लिए भी एक बढिय़ा शूटिंग पॉइंट बन गया है। आज के आर्टिकल में हम आपको यात्रा कराएंगे जयपुर के इसी सुंदर हवा महल की। जिसमें आपको हवा महल का इतिहास, इसकी वास्तुकला, हवा महल में कितनी खिड़किया है और दिलचस्पों तथ्यों से रूबरू होने का मौका मिलेगा। 1. क्यों कहते हैं इसे हवा महल – Why Hawa Mahal Is Called Hawa Mahal In Hindi
हवा महल का अर्थ है हवा का महल। इस महल में 953 छोटे-छोटे झरोखे और खिड़कियां हैं। इन खिड़कियों को महल में ताजी हवा के प्रवेश के लिए बनाया गया था। गर्मी के दिनों में राहत पाने के लिए हवा महल राजपूतों का खास ठिकाना था, क्योंकि झरोखों में से आने वाली ठंडी हवा पूरी इमारत को ठंडा रखती थी। हवा महल का नाम यहां की पांचवी मंजिल से पड़ा है, जिसे हवा मंदिर कहा जाता है।
2. जयपुर के हवा महल का इतिहास – History Of Hawa Mahal Jaipur In Hindi
राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित हवा महल का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह के पोते सवाई प्रताप सिंह ने सन् 1799 में कराया था। वह राजस्थान के झुंझनू शहर में महाराजा भूपाल सिंह द्वारा निर्मित खेतड़ी महल से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने हवा महल का निर्माण कराया। यह रॉयल सिटी पैलेस के विस्तार के रूप में बनाया गया था। ललित जाली की खिड़कियों और पर्दे वाली बालकनी से सजे इस खूबसूरत हवा महल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य शाही जयपुर की शाही राजपूत महिलाओं को झरोखों में से सड़क पर हो रहे उत्सवों को देखने की अनुमति देना था।
उस वक्त महिलाएं पर्दा प्रथा का पालन करती थीं और दैनिक कार्यक्रमों की एक झलक पाने के लिए सार्वजनिक रूप से सामने आने से बचती थीं। इन झरोखों की मदद से उनके चेहरे को ठंडी हवा लगती थी और तपती धूप में भी उनका चेहरा एकदम ठंडा रहता था, जो उनकी खूबसूरती का भी एक राज था। वे अपने रिवाजों को बनाए हुए इन झरोखों में से स्वतंत्रता की भावना का आनंद इसी तरह से ले सकती थीं।
3. हवा महल की वास्तकुला – Architecture Of Hawa Mahal In Hindi हवा महल एक ऐसी अनूठी अद्भुत इमारत है, जिसमें मुगल और राजपूत शैली स्थापित्य है। 15 मीटर ऊंचाई वाले पांच मंजिला पिरामिडनुमा महल के वास्तुकार लाल चंद उस्ताद थे। 5 मंजिला होने के बावजूद आज भी हवा महल सीधा खड़ा है। इमारत का डिजाइन इस्लामिक मुगल वास्तुकला के साथ हिंदू राजपूत वास्तुकला कला का एक उत्कृष्ण मिश्रण को दर्शाता है। बताया जाता है कि महाराज सवाई प्रताप सिंह कृष्ण के बड़े भक्त थे, उनकी भक्ति महल के ढांचे के डिजाइन से ही प्रतीत होती है, जो एकदम भगवान कृष्ण के मुकुट के समान दिखता है। महल में 953 नक्काशीदार झरोखे हैं, जिनमें से कुछ तो लकड़ी से बने हैं। इन झरोखों का निर्माण कुछ इस तरह किया गया था कि गर्मियों में ताजी हवा के माध्यम से पूरी इमारत ठंडी रहे। 4. हवा महल के बारे में विवरण – Hawa Mahal Information In Hindi
हवा महल की दीवारों पर बने फूल पत्तियों का काम राजपूत शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है। साथ ही पत्थरों पर की गई मुगल शैली की नक्काशी मुगल शिल्प का नायाब उदाहरण हैं। उत्सवों के लिए पहली मंजिल पर शरद मंदिर बना हुआ है, जबकि हवा महल की दूसरी मंजिल पर रतन मंदिर बना है जिसे ग्लासवर्क से सजाया गया है। अन्य तीन मंजिलों पर विचित्र मंदिर, प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर है। यहां आपको गुलाबी शहर जयपुर के विभिन्न रंग देखने को मिलेंगे। हवा महल का कोई सामने से दरवाजा नहीं है, बल्कि सिटी पैलेस की ओर से एक शाही दरवाजा हवा महल के प्रवेश द्वार की ओर जाता है। यहां तीन दो मंजिला इमारतें तीन तरफ एक बड़े प्रांगण को घेरे हुए हैं, जिसके पूर्वी हिस्से में हवा महल स्थित है।
आंगन में वर्तमान में एक पुरातत्व संग्रहालय है। महल का आंतरिक भाग भी ऊपर के मंजिल की ओर जाने वाले मार्ग और खंभे से युक्त है। हवा महल के पहले दो मंजिल में आंगन हैं और बाकी तीन मंजिला की चौड़ाई एक कमरे के जितनी बराबर है। खास बात यह है कि इमारत में कोई सीढ़ियां नहीं है और ऊपर जाने के लिए रैंप का ही इस्तेमाल किया जाता है। 50 साल बाद साल 2006 में पूरे हवा महल का रेनोवेशन किया गया। इस समय इस इमारत की कीमत 4568 मिलियन बताई गई थी। उस समय जयपुर के एक कार्पोरेट सेक्टर ने हवा महल के रिनोवेशन का जिम्मा उठाया था, लेकिन फिर बाद में भारत के यूनिट ट्रस्ट ने हवा महल की मरम्मत कराने की जिम्मेदारी ली।
5. कब जाएं हवा महल – Best Time To Visit Hawa Mahal In Hindi
सर्दियों के मौसम में आप जयपुर घूमने आ सकते हैं। नवंबर की शुरूआत से फरवरी के बीच तक का समय पर्यटकों का पीकसीजन होता है। सुहावने मौसम के साथ आप यहां एक नहीं बल्कि कई प्राचीन इमारतों की यात्रा सुकून से कर पाएंगे। हवा महल को देखने का समय सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक है। हालांकि इस इमारत को निहारने का सबसे सही समय सुबह का है जब सूर्य की सुनहरी किरणें इस शाही इमारत पर पड़ती हैं। ये नजारा हवा महल को और भी सुरूचिपूर्ण और भव्य रूप देता है। हवा महल म्यूजियम शुक्रवार को बंद रहता है, इसलिए बेहतर है कि हवा महल को अन्य दिनों में देखने जाएं।
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